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117
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सतृष्ण और ज्वलनशील है |
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एक दिन उसने साहस करके मुंशी जी को अन्दर बुलाया |
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स्वाद भी चखने को मिल जाता था |
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उन्होंने नाराज़गी से एक दूसरे की तरफ़ देखा फिर त्योरी चढ़ाकर मुझे देखा |
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सब कुछ कितना शान्त है |
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बहू जी पर घड़ों पानी पड़ गया |
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ऊँगलियाँ तवे से जल जाती थीं |
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गांधी ने हज़ारों लोगों की |
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उतरा तिरे किनारे जब कारवाँ हमारा |
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और बारिश उसकी नींद में बाधा डालती है |
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गनीमत है मैं कूद कर एक तरफ़ को हो गया था नहीं तो |
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की है कि दयालुता देखकर दूसरे लोग दयालु होने के लिए |
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उन्होंने दादाजी को कम्बल में लपेट दिया |
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शिक्षक के तेवर चढ़े रहते थे |
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धोबी तेनालीराम से बोला मुझे पता नहीं था कि इसका इतना आसान इलाज है |
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को देशद्रोह के आरोप में गिरफ़्तार कर लिया |
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वह रोने लगी |
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फर्जी डिग्री विवाद जितेंद्र तोमर ने केजरीवाल को पत्र लिखकर दी सफाई |
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तब आप क्या कहेंगी |
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के अल्लाह के बन्दे हंस दे |
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फिर संपूर्ण विलीन हो गया |
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माता का देहावसान हो जाने पर मैं भी |
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कृपाणवाला हाथ पकड़ लिया और |
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जहाँ अथक प्रयास अपनी बाहें पूर्णता की ओर बढातें हो |
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पर उसे कक्षा में जाना अच्छा नहीं लगता था |
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बारिश में मोटर साइकिल की दौड़ लगाते हैं |
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हमें बारिश का इंतज़ार करना चाहिए |
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सेठ जीपर हमारा पक्ष निर्बल है |
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ज़ीरो |
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यह निर्णय करना असम्भव था कि |
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किसने बुलाया था इस निगौड़ी ईद को |
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रोहन के घर में येल्लू बनता है और |
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विश्राम लेकर बुधगुप्त ने पूछा |
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रात शान्त थी |
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सास को बस ताने मारने और रौब झाड़ने के अलावा कोई काम नहीं |
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सारा घर मक्खियों से भनभन कर रहा था |
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चीजें लाएँगेखिलौने |
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श्वेत क्रांति के जनक माने जाने वाले इस शख्स ने |
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मीठी और गर्मागर्म बनाना दादाजी चिल्लाए |