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एक सुबह किच्चू जल्दी उठा |
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अपनी मोटर को झटके से शुरू करते हैं |
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उसने पूछा खाँसते हुए माँ बोलीं वे सब यात्रा पर जा रहे हैं |
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लेकिन फिर थोड़ी सूझबूझ दिखाते हुए उसने अपनी जेब से |
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धनी को उससे बातें करना अच्छा लगता था |
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सिद्धेश्वरी ने बताया कि हंडिया में थोड़ासा गुड़ है |
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दोनों पुलिसवाले बात करने के लिए दूर चले गए |
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उसका मुख पीला पड़ गया |
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उत्तरपश्चिमी भारत की |
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उन्होंने फिर तर्क की शरण ली |
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चार आदमी कार से उतरे और कुर्सियाँ और चित्रण बोर्ड उतारने लगे |
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अगर तुम अब भी नीचे नहीं आये |
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पर्दे से निकल आयी और मुंशी जी की तरफ तेज आँखों से |
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इकबाल अंसारी के वकील का दावामध्यस्थता की बात गलत नहीं छोड़ेंगे जमीन |
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और यह भी पता होगा कि |
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से मुख में शुद्ध नक्षत्रों की पंक्ति के |
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सत्यनाराण ने रोते हुए जवाब दियाभाभी |
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मैं तुम्हें घृणा करती हूँ फिर भी तुम्हारे लिए मर सकती हूँ |
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बोले तुम्हें व्यापारी पर शक है कि वह वापस नहीं आएगा |
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जैसे छोटे और |
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पूरी दुनिया में लोगों ने अहिंसा |
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तेज़ बारिश पड़ने लगी |
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असल तो यह कि तीनों लड़के काफी होशियार हैं |
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जरा मुझे बाहर निकाल कर देखो कि मेरा कुंवर ठीक हो गया है या नहीं |
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कभीकभी तेज़ी से दो कभीकभी तीनचार सीढ़ी एक साथ चढ़ा जा रहा है |
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फर्श की एकएक अंगुल जमीन भर गयी |
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उसमें भी उनकी दृष्टि नहीं पहुँचती |
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रिटिश जनता की हमदर्दी भी उन्होंने हासिल की |
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जनसमुदाय में नीच बन कर और अपने घर में |
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परन्तु ललकार सुन कर वह सचेत हो जाता है |
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हरिद्वार में लगा है नित्यानंद का कैंप |
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मुझे कुछ सूझ नहीं रहा था लेकिन मैंने बड़ेबड़े लोगों के इंटरव्यू देखे थे |
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गरीब ही सही कांता को ऊपर वाले ने मां बनने का अधिकार तो दिया था |
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जुम्मन बोलेयह अलगू चौधरी की इच्छा पर निर्भर है |
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फिर सिर पर हाथ रखकर देखा |
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दो हफ्ते से बला की गर्मी पड़ रही थी |
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करने के लिए आरोपी ठहराया गया और |
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यह जानने और साथ ही विज्ञान और |
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मोहनदास उन्हें छोड़कर अपनी पत्नी |
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मगर वह नहीं जानती थी कोई है जो उसकी इन हरकतों पर नजर रख रहा है |
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गुब्बारे पर ऊन रगड़ने से |
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यूँ बच्चे भी शिक्षक को पसंद नहीं करते थे |
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मैं जी भरकर हँसा |
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जो भी हो कल फिर आएगा |
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माता ने बहू की तरफ मर्मांतक दृष्टि से देखा और बोलीक्यों भैया |
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कैसे गुजारा होगा |
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असम बम विस्फोट में एक की मौत तीन घायल |
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रोमांच हो आता है रोंगटे खड़े हो जाते हैं और |
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बड़का तुम्हारी बड़ी तारीफ कर रहा था |
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मानो बंदूक है और |
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उनके पास न होने पर गांधी ने कहा था कि |
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वो खून था हिंदुस्तानी |
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मुंशीजी ने कचहरी में यह समाचार सुना |
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मोरू ने उन्हें कतार में खड़ा करवाया |
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नाविकों ने देखा |
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यहाँ कोई धन और पद नहीं देखता |
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सिमा सो गई थी |
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लोग अपने घरों से बाहर निकल आए |
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अब रश्मि का बहुत ख्याल रखा जाने लगा था |
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रामचंद्र बिगड़ उठा |
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वह मेरी तरफ़ बढ़ा कि अचानक चारों खाने चित्त हो गया |
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तुम दोनों इस गढ्ढे से नहीं निकल सकते |
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कोई नजर न आया आसपास कोई गाँव भी न था |
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बैंक कुमारी अम्मां मंदिर गगनाथा स्वामी मंदिर |
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धनी बिन्नी को खींच कर ले गया और |
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बुधगुप्त को आज्ञा देकर देखो तो |
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फिर सँभलना कठिन हो जाता है |
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मेरे पास उत्तम किस्म के घोड़े हैं |
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भानुकुँवरि और सत्य नारायण अब भी जीवित हैं |
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बहू अब तक सास की घुड़कियॉँ भीगी |
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उसने साधु को इतना मारा कि साधु के प्राण पखेरु उड़ गए |
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कॉलेज व दफ़्तरों का बायकॉट किया |
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मुंशी जी के निबटने के पश्चात सिद्धेश्वरी उनकी |
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बालबच्चे हैं और क्या चाहिए |
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जो भी हम सोचते हैं या कुछ नया करने की कोशिश करते हैं |
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वहां से उचित जानकारी पाकर वो लोग गांव वापस पहुँचे और |
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लोटे की ओर देखते हुए कहा |
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अंत में एक दिन खाला ने जुम्मन से कहाबेटा |
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अपनी हँसी का कलनाद छोड़कर छिप जाती थीं |
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गांव की चौपाल पर शाम की बैठक जमी थी |
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विजय गोयल ने झुग्गियों में की ढोल बजाओ पोल खोलो अभियान की शुरुआत |
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अमेरिका से लौटने के बाद गैराज में |
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अचानक उसकी आँखें भर आईं |
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शिक्षक धीरेधीरे वहाँ से निकले |
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इतनी शीतलता हृदय की प्यास न बुझी |
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यह मूक स्नेह था खूब ठोस |
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जो बहुत स्वादिष्ट होता है |
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सजा सुनते ही इंटरनेशनल कोर्ट में वॉर क्रिमिनल ने पिया जहर |
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चैनल चार लगाइये। |
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बड़ा पागल है |
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वे बोले सत्या मुझे बहुत भूख लगी है |
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बांग्लादेश में रोहिंग्या शरणार्थियों के लिए राहत सामग्री भेजेगा भारत |
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उस प्रचंड आँधी में प्रकाश की एकएक किरण के लिए |
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और शायद ठीक भी |
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जुम्मन ने दोस्तों से कहायह दगाबाजी की सजा है |
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फिर बिन्दा ने उसे यात्रा के बारे में बताया |
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यहां से वे परियां भाग न जाएं इसलिए तो फाटकों पर ताले डाले गए हैं |
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दाँडी पहुँच कर वे नमक बनायेंगे |
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उसके आदमी भी भाग निकले |
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स्थिति काबू से बाहर हो रही थी |
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